Devendra singh "Dev"
Sunday, June 5, 2011
प्यार
राज़ गहरा है
जुबाँ पे पहरा है
मन की आँखों के बगैर
नज़र आता नहीं
कीमत चूका नहीं सकते
मुफ्त पा नहीं सकते
ना हो तो मुसीबत
हो जाये तो परेशानी
मिल जाये तो मिट्टी है
खो जाये तो सोना है
ये प्यार भी क्या बला है
कह भी नहीं सकते
रह भी नहीं सकते
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