Tuesday, July 23, 2013

क्या फर्क पड़ता है

क्या फर्क पड़ता है
जब आंकड़ों में विकास जारी  हो
और सामूहिक आत्महत्या की तैयारी  हो
रोटी के लिए संघर्ष
पानी विष का प्याला
त्रासदी और महामारी
उसमे भी घोटाला
मौत तो सेक्युलर है
न टोपी देखेगी न ललाट पर चन्दन
बस अचानक ही टेटुआ दबाएगी
और उसी क्षण सांस थम जायेगी
आज शर्म से नतमस्तक
ईमानदारी है
लूट का अखिल भारतीय कार्यक्रम
का  सीधा प्रसारण जारी है
चलो मूक दर्शक बन रियलिटी शो देखते हैं
क्या फर्क पड़ता है  ................

Wednesday, July 10, 2013

दूसरा पहलू

सुन्न हो गयी हजारों आवाजें पुकारते पुकारते |
अपलक रह गयी कितनी निगाहें, निहारते निहारते ||
कहीं मांग का ‎सिन्दूर, तो कहीं ‎राखी का रिश्ता |
कहीं सूनी गोद हुए तो कहीं ‎ आसरा ही छूटा. ||
'उफ़! क्यूँ है ये मंज़र बेबसी का ', इस् से क्या होगा ..|
हर हाथ बढे  ‎सहारा बन यही है बेहतर मौका ||
आज ‎इंसान के भीतर, इंसान को जगाना होगा , ||
ऐ ‎ खुदा! तेरे इम्तेहान का दूसरा पहलू भी निभाना होगा ||||||||