Saturday, January 8, 2011
अजीब है ना
अजीब है ना! १०० रूपिये का नोट बहुत ज़्यादा लगता है जब “गरीब को देना हो”, मगर होटल में बैठे हो तो बहुत कम लगता है.... ३ मिनट भगवान को याद करना बहोत मुश्किल है, मगर ३ घंटे की पिक्चर फिल्म देखना बहोत आसान....... पूरे दिन मेहनत के बाद जिम जाना नहीं थकाता, मगर जब अपनेही माँ-बाप के पैर दबाने हो तो लोग तंग आ जाते है..... वैलेंटाइन डे को २०० रूपियों का बुके ले जाएंगे, पर मदर डे को १ गुलाब अपनी माँ को नहीं देंगे....... इस मेसेज को फॉरवर्ड करना बहुत मुश्किल लगता है, जब की फिजूल जोक्स को फॉरवर्ड करना हमारा फर्ज़.......
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Thats ur life and money. It depends how u want to spend it.Forget what others do.
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