उसके बिना चुपचाप रहना अच्छा लगता है,
ख़ामोशी से एक दर्द को सहना अच्छा लगता है,,
जिस प्यार की याद में निकल पड़ते है आसू,
पर सामने उसके कुछ न कहना अच्छा लगता है,,
मिल के उससे बिछड़ न जाये बस यही दुआ करते है हर पल,
इसलिए कभी कभी उनसे दूर रहना अच्छा लगता है,,
जी चाहता है साडी खुशिया लेकर उनकी झोली में भर दू,
बस उनके ही प्यार में सब कुछ खोना अच्छा लगता है,,
उनका मिलना न मिलना तो किस्मत की बात है,
पर पल पल उसकी याद में रोना अच्छा लगता है,,
उसके बिना ये सारी खुशिया अजीब सी लगती है,
पर हमें तो रो रो के उसकी याद में जलना अच्छा लगता है|
Monday, January 31, 2011
प्यारा बंधन
आप आदर्श है हमारे, हम आपको चाहते है.
प्यार करते है आपसे ,आप जैसा बनाना चाहते है..
आप सदा इस दुनिया में आबाद रहे.
कोई बंधन न हो दुखो का, आप आजाद रहे..
हम तो सजदा करते है , खुदा से दिन रात यही.
न करे मुझको कोई, आपसे जुदा कभी..
आंसू होते है आँखों में, काँटों सी चुभती बातें .
जब याद आती है, वो गुजरी हुयी यादें .
आपने किया बह काम जो दुनिया न कर सकी ..
कर्तब्यो का निरबाह आपकी मिसाल बन गयी.
आपका प्यार मिला जिन्दगी संबर गयी..
कहता है "देव" आज अपनी जुबान से ..
सहारा बनूँ आपका, काम आऊ आपके...
प्यार करते है आपसे ,आप जैसा बनाना चाहते है..
आप सदा इस दुनिया में आबाद रहे.
कोई बंधन न हो दुखो का, आप आजाद रहे..
हम तो सजदा करते है , खुदा से दिन रात यही.
न करे मुझको कोई, आपसे जुदा कभी..
आंसू होते है आँखों में, काँटों सी चुभती बातें .
जब याद आती है, वो गुजरी हुयी यादें .
आपने किया बह काम जो दुनिया न कर सकी ..
कर्तब्यो का निरबाह आपकी मिसाल बन गयी.
आपका प्यार मिला जिन्दगी संबर गयी..
कहता है "देव" आज अपनी जुबान से ..
सहारा बनूँ आपका, काम आऊ आपके...
Thursday, January 20, 2011
प्रेम
"ढाई आख़र प्रेम के पता नहीं, फिर प्रेम की भाषा क्यूँ?
हिम्मत नहीं है दिल में, फिर प्रेम की अभिलाषा क्यूँ?
प्रेम में होता है समर्पण, प्रेम में होती हैं प्रार्थनायें!
प्रेम में होता है यकीन, प्रेम में होती हैं कामनायें!
छोड़ते हो किसी को, तो फिर यह जिज्ञासा क्यूँ?
...
प्रेम में होती है जरुरत, प्रेम में होती हैं भावनायें!
प्रेम में होता है अस्तित्व, प्रेम में होती हैं रचनायें!
तोड़ते हो किसी का दिल, तो फिर यह आशा क्यूँ?
प्रेम के बिन बड़ी कठिनता, प्रेम के बिन हैं समस्याएँ!
प्रेम के बिन बड़ी नीरसता, प्रेम के बिन हैं दुखद्तायें!
"देव" मुंह मोड़ते हो किसी से,तो फिर यह हताशा क्यूँ?
ढाई आख़र प्रेम के पता नहीं, फिर प्रेम की भाषा क्यूँ?
हिम्मत नहीं है दिल में, फिर प्रेम की अभिलाषा क्यूँ?
हिम्मत नहीं है दिल में, फिर प्रेम की अभिलाषा क्यूँ?
प्रेम में होता है समर्पण, प्रेम में होती हैं प्रार्थनायें!
प्रेम में होता है यकीन, प्रेम में होती हैं कामनायें!
छोड़ते हो किसी को, तो फिर यह जिज्ञासा क्यूँ?
...
प्रेम में होती है जरुरत, प्रेम में होती हैं भावनायें!
प्रेम में होता है अस्तित्व, प्रेम में होती हैं रचनायें!
तोड़ते हो किसी का दिल, तो फिर यह आशा क्यूँ?
प्रेम के बिन बड़ी कठिनता, प्रेम के बिन हैं समस्याएँ!
प्रेम के बिन बड़ी नीरसता, प्रेम के बिन हैं दुखद्तायें!
"देव" मुंह मोड़ते हो किसी से,तो फिर यह हताशा क्यूँ?
ढाई आख़र प्रेम के पता नहीं, फिर प्रेम की भाषा क्यूँ?
हिम्मत नहीं है दिल में, फिर प्रेम की अभिलाषा क्यूँ?
Wednesday, January 12, 2011
मोहब्बत
जो आपने न लिया हो, ऐसा कोई इम्तहान न रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहा,
है कोई बस्ती, जहा से न उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान न रहा,
हाँ वो मोहब्बत ही है जो फैली हे ज़र्रे ज़र्रे में,
न हिन्दू बेदाग रहा, बाकी मुस्लमान न रहा,
जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान न रहा,
जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया,
कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान न रहा,
इंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहा,
है कोई बस्ती, जहा से न उठा हो ज़नाज़ा दीवाने का,
आशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रस्तान न रहा,
हाँ वो मोहब्बत ही है जो फैली हे ज़र्रे ज़र्रे में,
न हिन्दू बेदाग रहा, बाकी मुस्लमान न रहा,
जिसने भी कोशिश की इस महक को नापाक करने की,
इसी दुनिया में उसका कही नामो-निशान न रहा,
जिसे मिल गयी मोहब्बत वो बादशाह बन गया,
कुछ और पाने का उसके दिल को अरमान न रहा,
Saturday, January 8, 2011
अजीब है ना
अजीब है ना! १०० रूपिये का नोट बहुत ज़्यादा लगता है जब “गरीब को देना हो”, मगर होटल में बैठे हो तो बहुत कम लगता है.... ३ मिनट भगवान को याद करना बहोत मुश्किल है, मगर ३ घंटे की पिक्चर फिल्म देखना बहोत आसान....... पूरे दिन मेहनत के बाद जिम जाना नहीं थकाता, मगर जब अपनेही माँ-बाप के पैर दबाने हो तो लोग तंग आ जाते है..... वैलेंटाइन डे को २०० रूपियों का बुके ले जाएंगे, पर मदर डे को १ गुलाब अपनी माँ को नहीं देंगे....... इस मेसेज को फॉरवर्ड करना बहुत मुश्किल लगता है, जब की फिजूल जोक्स को फॉरवर्ड करना हमारा फर्ज़.......
Friday, January 7, 2011
उन हसीनों में
रची है रतजगो की चाँदनी जिन की जबीनों में.
"क़तील" एक उम्र गुज़री है हमारी उन हसीनों में..
वो जिन के आँचलों से ज़िन्दगी तख़लीक होती है.
धड़कता है हमारा दिल अभी तक उन हसीनों में..
ज़माना पारसाई की हदों से हम को ले आया.
मगर हम आज तक रुस्वा हैं अपने हमनशीनों में..
तलाश उनको हमारी तो नहीं पूछ ज़रा उनसे.
वो क़ातिल जो लिये फिरते हैं ख़ंज़र आस्तीनों में..
"क़तील" एक उम्र गुज़री है हमारी उन हसीनों में..
वो जिन के आँचलों से ज़िन्दगी तख़लीक होती है.
धड़कता है हमारा दिल अभी तक उन हसीनों में..
ज़माना पारसाई की हदों से हम को ले आया.
मगर हम आज तक रुस्वा हैं अपने हमनशीनों में..
तलाश उनको हमारी तो नहीं पूछ ज़रा उनसे.
वो क़ातिल जो लिये फिरते हैं ख़ंज़र आस्तीनों में..
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