कैसा हूँ मै ,
क्यों हूँ मै ऐसा ......
मै कोई चोर तो नहीं......
फिर भी मै तुमको तुमसे चुरा लेता हूँ....
जब तुम कर रही होती हो कुछ काम...
मै पास खडा तुम्हारी खुशबु चुरा लेता हूँ...
बीच-२ तुम्हे हलके से छू कर...
तुम्हारा अहसास चुरा लेता हूँ...
तुम्हारे लबो से हंसी की खनखनाहट ...
मै अपने कानो के अंदर समा लेता हूँ......
तुम्हारी आँखों की चंचल शोखी.....
अपनी आँखों में बसा लेता हूँ...
मै तुमको तुमसे चुरा लेता हूँ..
क्यों करता हूँ मै ऐसा...
क्या होगा इस से.....
इसका भी राज़ बता देता हूँ..
जब भी दूर होती हो मुझसे...
अकेलापन नहीं होता गवारा..
तब तुम्हारी इन चुराई चीजों से...
मै अपना मन बहला लेता हूँ
इसलिए जब भी होती हो पास मेरे
मै तुमको तुमसे चुरा लेता हूँ..
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