Friday, August 30, 2013

खामोशी


कभी कभी ज़िन्दगी कुछ सवाल पूछती है,

जवाब सामने होते है और……खामोशी

मुस्कुराती है और मेरा नसीब पूछती है,
जवाब सामने होते है और……खामोशी



कभी अश्क बनकर जज़्बात उठते है,

वजह सामने होती है और……खामोशी

बेगाने हसीन खयाल उठते है,

वजह सामने होती है और……खामोशी

हसरतों की कशमकश मे गाफ़िल हो जाते है,

ख्वाब सामने होते है और……खामोशी

मसर्रत के माय्ने हम बदल देते है,

ख्वाब सामने होते है और……खामोशी



ज़िन्दगी के सवाल मुकम्मल हो ना हो,

जवाब सामने होते है और……….खामोशी.....